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Kilkari
Our Publications किलकारी प्रकाशन

Bal Kilkari- Monthly Magazine

बाल किलकारी बच्चों की मासिक पत्रिका है। यह वर्ष 2017 से नियमित प्रकाषित हो रही है। यह पत्रिका बच्चों के लिए एक सम्पूर्ण पत्रिका है। इसमें देश के स्थापित रचनाकारों की बाल रचनाओं के साथ-साथ बच्चों की रचनाएँ भी प्रकाशित की जाती हैं। 48 पृष्ठों की यह पत्रिका बच्चों का न सिर्फ मनोरंजन करती है; बल्कि देश-दुनिया की खबरों से भी अवगत कराती है।

बाल किलकारी- मासिक पत्रिका

बाल किलकारी बच्चों की मासिक पत्रिका है। यह वर्ष 2017 से नियमित प्रकाषित हो रही है। यह पत्रिका बच्चों के लिए एक सम्पूर्ण पत्रिका है। इसमें देश के स्थापित रचनाकारों की बाल रचनाओं के साथ-साथ बच्चों की रचनाएँ भी प्रकाशित की जाती हैं। 48 पृष्ठों की यह पत्रिका बच्चों का न सिर्फ मनोरंजन करती है; बल्कि देश-दुनिया की खबरों से भी अवगत कराती है।

Atkan-Matkan

Atkan-Matkan -
Kilkari organized a workshop on the stories of children. Children themselves painted on the basis of the stories. Some selected stories were published in ‘Átkan Matkan’ in 2011.

अटकन मटकन

किलकारी में प्रशिक्षण के दौरान बच्चों की कथाओं पर कार्यशाला हुई। इस कार्यशाला में बच्चों को कथा-लेखन से जोड़ा गया। पूरे छः माह की कार्यशाला में बच्चों ने कई कहानियाँ लिखीं। उन्हीं में से कुछ चुनी हुई कहानियों का प्रकाशन, वर्ष 2011 में हुआ। बच्चों की कलम से निकली अलग-अलग तरह की कहानियाँ हैं ‘अटकन-मटकन’ में। उसके बाद कथाओं के अनुसार बच्चों ने ही चित्रांकन किया। श्रीमती ज्योति परिहार के संपादन में बच्चों की मौलिक कथाओं का यह अनूठा संकलन है।

चतुर गिद्दर (हिन्दी/मैथिली)

चतुर गिद्दर’ एक बाल-कथा पुस्तिका है। गिद्दर अपनी चतुराई से किस तरह शेर से अपनी जान बचाता है, इस कहानी को पढ़कर पता चलेगा। बच्चों को यह कहानी ज़रूर पसंद आएगी। किलकारी समर कैम्प की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के दौरान बच्चों ने यह कहानी लिखी और उस कहानी के अनुरूप वैसे चित्र भी बनाए। इस पुस्तक को आप हिन्दी एवं मैथिली भाषा में पढ़ सकते हैं।

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Atkan-Matkan -
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हुनर सें बचलै जान (हिन्दी/अंगिका)

‘हुनर से बच गई जान’ एक बाल-कथा पुस्तिका है। विपत्ति के समय मोहन और सीताराम को तैराकी का हुनर काम आया और दोनों डूबने से बचें। बच्चों को यह कहानी पढ़कर ज़रूर मज़ा आएगा। किलकारी समर कैम्प की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के दौरान बच्चों ने यह कहानी लिखी और उस कहानी के अनुरूप चित्र बनाए। इस पुस्तक को आप हिन्दी एवं अंगिका भाषा में पढ़ सकते हैं।

होंसिआर माही (हिन्दी/बज्जिक)

‘होशियार माही’ एक बाल-कथा पुस्तिका है। माही ने होशियारी और बहादुरी से मगरमच्छ से अपनी जान बचाई। क्या किया ऐसा माही ने कि उसकी होशियारी से सब कोई खुश हो गए, यह पुस्तक पढ़कर पता चलेगा। बच्चों को यह कहानी पढ़कर मज़ा आएगा। किलकारी समर कैम्प की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के दौरान बच्चों ने यह कहानी लिखी और उस कहानी के अनुरूप चित्र बनाए। इस पुस्तक को आप हिन्दी एवं बज्जिका भाषा में पढ़ सकते हैं।

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सब में खूबी हई (हिन्दी/मगही)

‘सब में हैं खूबियाँ’ एक बाल-कथा पुस्तिका है। किसी को भी कमजोर नहीं समझना चाहिए, खूबियाँ सबमें होती हैं। राजा शेर ने यह बात मंत्री बाघ को समझाई। बच्चों को यह कहानी पढ़कर ज़रूर मज़ा आएगा। किलकारी समर कैम्प की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के दौरान बच्चों ने यह कहानी लिखी और उस कहानी के अनुरूप चित्र बनाए। इस पुस्तक को आप हिन्दी एवं मगही भाषा में पढ़ सकते हैं।

सिन्टू मगरमच्छ (हिन्दी/भोजपुरी)

‘सिन्टू मगरमच्छ’ एक बाल-कथा पुस्तिक है। किस तरह सिन्टू मगरमच्छ अपनी चालाकी से तालाब का राजा बन जाता है, इस पुस्तक को पढ़कर आप जान पायेंगे। बच्चों को यह कहानी पढ़कर ज़रूर मज़ा आएगा। किलकारी समर कैम्प की विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के दौरान बच्चों ने यह कहानी लिखी और उस कहानी के अनुरूप चित्र बनाए। इस पुस्तक को आप हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा में पढ़ सकते हैं।

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चाँद के चक्कर में

कथाओं की दुनिया की सैर करना बच्चे एवं बड़े सभी को अच्छा लगता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया की दुनिया में खोए बच्चों को घर के बड़े-बुजुर्गों से कहानियाँ सुनने का अवसर नहीं। इसी जरूरत को पूरी करती है कहानी संग्रह ‘‘चाँद के चक्कर में’’। इस संग्रह से बच्चे कल्पना की दुनिया में सैर करेंगे, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों से दोस्ती भी कर पाएंगे।

Dhama Chawkri

Kilkari started publication for children with ‘Dhamachowkri’ for encouraging the writing skills of children. 21 poems of children of Bihar have been published in ‘Dhamachowkri’. The book has been prescribed for the primary schools of Bihar in standard I and II as a subsidiary book by Bihar Education Project. The first edition was published in 2009 and the second one in 2010.

धमाचौकड़ी

बच्चों की लेखन-कला को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रकाशित इन कविता-संग्रह ‘धमाचौकड़ी’ में बच्चों की कविताओं के रंग भरे हैं। इसमें बिहार के 21 बच्चों की चुनिंदा रचनाओं का संकलन है। इस किताब को बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक सहयोगी किताब के रूप में उपयोग किया गया है।

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माँ का संदेश

किशोरवय में पहुँचते ही बच्चों का मन कई उलझनों से घिरा होता है। उनके अंदर के अनसुलझे प्रश्नों का सुलझाने की राह दिखाती, उनके विचारों को नया आयाम देने को प्रेरित करती, खुद की क्षमता पर भरोसा करने की सीख देती माँ की चिठ्ठी।
मेरे प्यारे बच्चे,
तुम्हारा सोलहवाँ साल आया है
इसलिए नहीं कि केवल
किताब के पन्नों में
उलझे रहो
चिंतामग्न रहो
ऊपर-नीचचे के अंकों से
परीक्षा के तनाव से
बाहर निकलो मेरे बच्चे।

Bachhon Ki Duniya

Bachhon Ki Duniya
‘What kind of world should ours be?’ This question was put to hundreds of children and selected answers and desires of children were collected in this book which was published in 2012. In this book, the children have thought about their world in their own imaginative way. In the picture collage workshop, the children themselves made pictures which were published in this beautiful book.

बच्चों की दुनिया

‘हमारी दुनिया कैसी हो?’ अलग-अलग जगहों पर हजारों बच्चों से यह सवाल पूछा गया। बच्चों ने अपनी दुनिया की परिकल्पना जिस रूप में की; उसी की झलक ‘बच्चों की दुनिया’ में है। इसमें बच्चों द्वारा कोलाज चित्रांकन भी किया गया है। यह चित्रांकन प्रसिद्ध चित्रकार श्री अनिल बिहारी की विशेषज्ञता में कार्यशाला आयोजित कर की गई। ‘बच्चों की दुनिया’ और उनकी कल्पना का अद्भुत संसार है यह किताब।

Thode Se Bacche Aur Baaki Bacche

Thode Se Bacche Aur Baaki Bacche
Eminent Writer and Educationist Dr. Vinodand Jha edited ‘Thore Se Bachche Aur Baki Bachche’ which was published in 2012. In this collection there are poems by forty-nine poets across the world. This collection is an important source of information regarding the various aspects of childhood.

थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे

जो लोग बच्चों के विस्तृत संसार को जानने-समझने और कुछ करने की चुनौती को स्वीकार करना चाहते हैं; ये कविताएँ उन लोगों को मदद करती हैं। बच्चों के उन खोए अधिकारों, उनके बचपन को बड़े भी समझें। इसकी एक कोशिश है ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’। इसमें विश्व के 49 कवियों की 51 कविताओं का संकलन है। प्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. विनोदानन्द झा के संपादन में तैयार यह कविता संग्रह बाल-मन को जानने का अनमोल सूत्र हैं।
‘‘बालक को खुद खाना है,
आप उसे खिलाइए मत।
बालक को खुद नहाना है,
आप उसे नहलाइए मत।
बालक को खुद चलना है,
आप उसका हाथ पकड़िए मत।
बालक को खुद गाना है,
आप उसे गवाइए मत।’’
वीर कुँवर सिंह

Veer Kunwar Singh (Chitrakatha)

Babu Kunwar Singh of Bhojpur district of Bihar is a Great Hero of the war of Independence. This narrative through pictures is based upon this warriors life. This book has been written by Padmashree Dr. Usha Kiran Khan in the style of a drama. This book with colour pictures is very enjoyable to read.

वीर कुँवर सिंह (चित्राकथा)

बिहार के भोजपुर जिले के बाबू कुँवर सिंह आजादी की लड़ाई के महानायक हैं। वीर कुँवर सिंह के जीवन पर आधारित यह एक चित्रकथा है। यह किताब नाटक की शैली में लिखी गई है। इसे प्रख्यात लेखिका पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान ने लिखा है। इसमें बच्चे कथा के माध्यम से अपने इतिहास को जानेंगे-समझेंगे। रंगीन चित्रों के साथ यह पुस्तक पढ़ने में काफी रोचक है।
वीर कुँवर सिंह

Aise The Gonu Jha

Aise The Gonu Jha
Gonu Jha, a wise and witty character from the Mithila region, is well-known for his cleverness. This book contains 12 fun-filled tales of his intelligence and humor that will leave readers laughing out loud.

ऐसे थे गोनू झा

मिथिला क्षेत्र की बात आते ही याद आ जाते हैं गोनू झा। गोनू झा एक बुद्धिमान व्यक्ति थे। अपनी बुद्धि से वे चमत्कृत कर देते हैं। उनके सूझ-बूझ के किस्सों से भरपूर है उनकी कहानियाँ। ऐसी ही 12 कहानियों को पढ़कर आप हँसते-हँसते लोटपोट हो जाएंगे।
ऐसे थे गोनू झा
सिम्मी, नाना और चप्पल का जोड़ा

Simmi, Nana Aur Chappal Ka Joda

Simmi, Nana Aur Chappal Ka Joda
A child's personality doesn’t form in a single day. It is shaped through small everyday events. This book is based on one such incident shared between a granddaughter and her grandfather. If children receive similar life guidance from elders from a young age, it plays a vital role in building their character. Children too should listen to and understand the wisdom of their elders.

सिम्मी, नाना और चप्पल का जोड़ा

बच्चों का व्यक्तित्व एक दिन में नहीं बनता है। हमें पता नहीं चलता पर हर दिन की छोटी-छोटी बातों एवं घटनाओं से भी हमारे अंदर कुछ बनता और बिगड़ता रहता है। ‘सिम्मी, नाना और चप्पल का जोड़ा’ नामक यह पुस्तक नाना के साथ जीवन से जुड़ी एक छोटी-सी घटना पर आधारित है। अगर हर बच्चे को बचपन से अपने बड़े-बुजुर्गों से इसी तरह का मार्गदर्शन मिलता रहे, तो यह उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होगा। बच्चों का भी यह दायित्व बनता है कि वे अपने बड़े-बुजुर्गों की सुने और उनकी दृष्टि को समझने का प्रयास करें।
सिम्मी, नाना और चप्पल का जोड़ा

Khel-Khel Mein Srijansheel Banayein – 51 Creative Activities

Khel-Khel Mein Srijansheel Banayein
Creativity is fueled by observation, reflection, imagination, focus, memory, and communication. This book offers 51 unique creative activities that educators and trainers can easily use with their students to bring about meaningful personal development. Each activity has a purpose and outcome — whether new or adapted from past practices, every one encourages learning through play.

खेल-खेल में सृजनशील बनाएँ - 51 सृजनात्मक गतिविधियाँ

सृजनात्मकता के कुछ प्रमुख सूत्र हैं- अवलोकन, चिंतन, कल्पना, एकाग्रता, स्मरण-शक्ति, संवाद-संप्रेषण आदि। इस पुस्तक में कुल इक्यावन सृजनशील गतिविधियाँ संकलित हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से कोई भी शिक्षक-प्रशिक्षक सहज रूप में अपने छात्रों को प्रशिक्षित कर सकते हैं औैर उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन ला सकते हैं। जितनी भी गतिविधियाँ इस पुस्तक में हैं- वे या तो बिल्कुल नयी हैं या फिर कुछ पूर्व में खेली गई। प्रत्येक गतिविधि के पीछे कुछ उद्देश्य है और उसका प्रतिफल भी है।
खेल-खेल में सृजनशील बनाएँ
डायरी लेखन-कला

Diary Lekhan Kala

Diary Writing – A Creative Art
Children are full of emotions and thoughts, yet often hesitate to express themselves. Diary writing becomes a powerful medium for them. This book teaches children the art of diary writing, helping them strengthen their language, develop expression, and build a writing habit.

डायरी लेखन-कला

बच्चों में अभिव्यक्ति की संभावनाएँ असीम हैं, मन में भावनाएँ हिलोर मारती हैं। कहने को बेचैन होते हैं पर कई बार कहने से हिचकते हैं, शर्माते हैं। इन भावनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है; डायरी लिखना। भाषा को सुदृढ़ करने, लिखने की आदत डालने के लिए डायरी लिखने की कला सिखाती है डायरी लेखन कला पुस्तिका।
डायरी लेखन-कला

Chahak (Teacher Training Guide)

Chahak – Teacher Training Module
If the learning environment doesn’t align with a child’s background, education can feel like a burden. How we teach is often more important than what we teach. Keeping this in mind, the “Chahak” module was developed as part of the School Readiness Program to mentally prepare newly admitted students for school and make the classroom environment child-friendly. Designed for 24 days, this module uses fun activities to ease children into learning and is a helpful guide for educators.

चहक (शिक्षक प्रशिक्षण मार्गदर्शिका)

बच्चे की पृष्ठभूमि के अनुसार सीखने का वातावरण अगर न हो तो बच्चों को पढ़ना-लिखना बोझ जैसा लगता है। उन्हें हम क्या पढ़ा रहे हैं, इसकी तुलना में कि पढ़ाई हम कैसे पढ़ा रहे हैं ज्यादा महत्वपूर्ण है। उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए स्कूल रेडिनेश कार्यक्रम के तहत ‘चहक’ मॉड्यूल को तैयार किया गया है; जिसका उद्देश्य है कि बच्चों को मानसिक रूप से विद्यालय के लिए तैयार करना और विद्यालय के माहौल को बच्चों के लिए उपयुक्त बनाना। यह मॉड्यूल 24 दिनों के लिए तैयार किया गया है। यह मॉड्यूल प्रथम वर्ग के नवनामांकित बच्चों को पहले माह में ही अभ्यास कराने और उन्हें आनंददायी गतिविधियों से खेल-खेल में सहजता से सीखने का माहौल बनाएगा। बच्चों के साथ कार्य करने वालों के लिए यह ‘चहक’ पुस्तक सहयोगी साबित होगी।
चहक (शिक्षक प्रशिक्षण मार्गदर्शिका)
बच्चों की चिट्ठियाँ दीदी के नाम

Bachon Ki Chitthi DiDi Ke Naam – A Collection of Kids’ Letters

Bachon Ki Chitthi DiDi Ke Naam
This collection offers a chance to read various letters from children and understand their emotions. The most interesting part is how children not only express concerns on different topics but also guide on ways to improve work methodologies and set rules. The letters are unique, each with its own tone and fragrance. This collection includes selected letters written by children between 2009 and 2018, offering a glimpse into the journey of Kilkari and how it has progressed, thanks to their guidance.

बच्चों की चिट्ठियाँ दीदी के नाम- बच्चों की खट्टी-मीठी बातें का संग्रहन

इस संकलन में आपको बच्चों की तरह-तरह की चिट्ठियाँ पढ़ने एवं उनके संवेदनाओं को समझने का मौका मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बच्चों ने कई विषयों पर न केवल अपनी चिंता जताई है, बल्कि कार्य पद्धति में सुधार के रास्ते और नियम बनाने के बारे में भी मार्गदर्शन दिया है। हर चिट्ठी के भाव एवं सुंगध अलग हैं। इस संकलन में 2009 से 2018 तक दस वर्ष में बच्चों के द्वारा लिखी गई चुनिंदा चिट्ठियों में किलकारी की यात्रा की भी एक छवि दिखायी देती है। उनके मार्गदर्शन से किलकारी कैसे आगे बढ़ती गई आप इन चिट्ठियों को पढ़कर जान सकते हैं।
बच्चों की चिट्ठियाँ दीदी के नाम

Suniye... Shikshak Ji

This book has been prepared by children who have shown through cartoons those qualities, which they would like their teachers to have. “In sadness and pain, may we children
Always find support in our teacher,
And receive from them
Loads and loads of love.”

सुनिये... शिक्षक जी

घर के बाद बच्चों का अधिकांश समय शिक्षकों के साथ ही बीतता है। शिक्षकों की सिखायी बातें, उनके व्यवहार बच्चों के मन-मस्तिष्क और जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। किलकारी में बच्चों ने अपनी पसंद के शिक्षक कैसे हों? विषय को लेकर कविताएँ लिखीं एवं चित्र बनाए। बच्चों की कोमल भावनाओं के शब्द और चित्रों के अनूठे मेल से तैयार की गयी यह पुस्तक बड़ों के लिए एवं बच्चों के साथ काम करने वालों के लिए उपयोगी साबित होगी।

‘‘दुःख दर्द में हम बच्चों को
टीचर जी का मिले सहारा
इसी तरह हम लोगों को
मिले प्यार ढेर सारा।’’
सुनिये... शिक्षक जी
बच्चों की आपबीती

Bachchon Ki Aapbeeti – Children’s True Stories

Everyone is entangled in their own problems, rushing through daily routines. But we often overlook how our behavior and thinking can deeply affect children. The stories in this book are a mix of learning and emotion — some teach, others sting. The narratives reflect both joy and excitement as well as burning societal issues. This collection will sensitively resonate with educators and institutions working for children.

बच्चों की आपबीती

हर कोई अपनी समस्याओं में उलझा है। रोजमर्रा के कार्यों में उलझकर दिन निकलते चले जाते हैं, पर हमारे किसी व्यवहार, विचार से बच्चे पर क्या असर पड़ेगा, इसको नजरअंदाज करते चले जाते हैं। इसका नुकसान बच्चे, पारिवारिक संबंधों और समाज को भुगतना पड़ता है। इस पुस्तक में कुछ आपबीती हमें सीख देने वाली है, तो कुछ हमें टीस देने वाली है। इस किताब में प्रकाशित बच्चों आपबीती में खुशी और उत्साह के रंग तो हैं; साथ-साथ समाज की ज्वलन समस्याएँ भी हैं। विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी विद्याालय एवं संस्थान, जो बच्चों के लिए ही कार्य करती हैं, यह पुस्तिका उन्हें संवेदित करेगी।
बच्चों की आपबीती

Aao Cartoon Banayein

This drawing book is designed to teach children how to create cartoons. Using simple lines and shapes, children learn the basics of cartoon drawing. It also explains the importance of adding dialogue to cartoons. Noted cartoonist Pawan guides children through the process of making fun and creative illustrations.

आओ कार्टून बनाएँ

बच्चों को कॉर्टून चित्रकारी सिखाने के उद्देश्य से यह ड्राईंग बुक तैयार की गई है। इसमें लकीर खींचकर घेरा बनाकर सहज एवं सरल तरीके से कॉर्टून बनाकर सिखाया गया है। साथ ही कॉर्टून में संवाद-लेखन के महत्त्व को भी बताया गया है। इसमें प्रख्यात कॉर्टूनिस्ट पवन बच्चों को कॉर्टून बनाना सिखा रहे हैं।
आओ कार्टून बनाएँ
अपना-पटना

Apna Patna – Through the Eyes of Children

Apna Patna sees the city of Patna through the photographs taken by the children themselves. This book consisting of the photographs was published in 2013. In this book there are excellent photographs which show Patna charmingly right from the lanes to the residence of the Chief Minister.

अपना-पटना

बच्चों के हाथ और कैमरे की दुनिया, फ्लैश चमकते ही कैमरे की आँख में कैद हो गया पटना। पटना शहर की तमाम घूमने वाली जगहों की तस्वीर फोटोग्राफी के शौकीन बच्चों ने अपने कैमरे में कैद की। उन तस्वीरों की कहानी बाल लेखकों ने अपनी भाषा में पेश की। फोटोग्राफी और लेखन का सुंदर संगम है ‘अपना पटना।’ बच्चों द्वारा कार्यशाला के माध्यम से यह पुस्तक तैयार की गई है। आप भी इसे देखकर और पढ़कर सोचेंगे ‘चलो घूम आएँ पटना।’
अपना-पटना

Bihar Ki Gufaayein – The Ancient Caves of Bihar

Bihar is a treasure trove of art and culture. This book takes readers on a journey through some of the world's oldest caves located in Bihar, while also introducing the historical context behind them. In 2015, children from Kilkari explored this heritage as part of a study tour. They discovered that the Barabar caves are even older than the famous Ajanta and Ellora caves. The book features various caves such as those in Jehanabad, Patharghata Hills, Madhorampur, Bhagalpur, Vaibhar Hills, Rajgir, and Vaishali, as well as Barabar, Kauvadol, Nagarjun, Patalpuri, Bateshwari, Son Bhandar, Saptaparni, and Pippali. It includes the children’s photographs and experiences, which are sure to captivate readers.

बिहार की गुफाएँ

बिहार, कला-संस्कृति का अद्भुत खजाना अपने अंदर समेटे हुए है। यह पुस्तक बिहार में स्थित विष्व की सबसे पुरानी गुफाओं की सैर कराती है, इसके ऐतिहासिक पहलू का भी परिचय देती है। वर्ष 2015 में किलकारी के बच्चों ने भ्रमण-कार्यक्रम के अन्तर्गत बिहार की विरासत को देखा और जाना। बच्चों ने जाना कि बराबर की ये गुफाएँ अजंता-एलोरा की गुफाओं से भी पुरानी हैं।

इस पुस्तक में आप जहानाबाद, पत्थरघाटा हिल्स, माधोरामपुर, भागलपुर, वैभार हिल्स, राजगीर, वैषाली इन जगहों के अलावे बराबर, कौवाडोल, नागार्जुन की गुफाएँ, पातालपुरी, बाटेष्वरी की गुफाएँ, सोनभंडार, सप्तपर्णी तथा पिप्पली की गुफाओं के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। इस पुस्तक में बच्चों के अनुभवों एवं खींचे गए फोटो का संकलन है, जो बरबस ही आपको मुग्ध करेंगे।
बिहार की गुफाएँ
पंक तिलक

Pank Tilak – A Children's Research Story

*Pank Tilak* is a children's research-based storybook. In earlier times, before paddy planting began in villages, there used to be elaborate rituals and festivities, during which farmers would apply a mud tilak on each other's foreheads. But what exactly is *Pank Tilak*? This story answers that question. Children from Kilkari conducted research by visiting the village of renowned writer Phanishwar Nath Renu. They uncovered many fascinating stories related to him. Young writer Praveen Kumar turned one such incident into this engaging narrative. Kids are sure to enjoy this book and stay hooked from beginning to end.

पंक तिलक (बाल शोध-कथा)

‘पंक तिलक’ एक बाल शोध कथा पुस्तक है। पहले गाँवों में धनरोपनी शुरू होने के पहले धूम-धाम, विधि-विधान से पूजा होती थी और सभी किसान एक-दूसरे को मस्तक पर पंक का तिलक लगाते थे। आखिर यह ‘पंक तिलक’ है क्या? कहानी पढ़ते ही इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी। किलकारी के बच्चों ने प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के गाँव जाकर शोध कार्य किया। रेणु जी से जुड़ी कई नई घटनाएँ, कहानियाँ जानने-सुनने को मिलीं। किशोर लेखक प्रवीण कुमार ने उन्हीं में से एक मज़ेदार घटना को ‘पंक तिलक’ कहानी के रूप में लिखा। बच्चों को यह पुस्तक ज़रूर पसंद आएगी और वे कहानी को मज़े में पढ़ते चले जायेंगे।
पंक तिलक

Rasgulle Ka Ped – A Children's Research Story

*Rasgulle Ka Ped* is a children’s research-based storybook. In a playful experiment, kids plant a piece of rasgulla in the soil hoping for a rasgulla tree to grow. But did it really grow? That mystery unfolds in the story. Children from Kilkari visited the village of the famous writer Phanishwar Nath Renu to conduct research. They uncovered many exciting and unheard stories. Teenage writer Raj Aryan crafted one such amusing incident into this delightful tale. Kids are sure to enjoy reading it with curiosity and smiles.

रसगुल्ले का पेड़ (बाल शोध-कथा)

‘रसगुल्ले का पेड़’ एक बाल शोध कथा पुस्तक है। बच्चे रसगुल्ला खाने के लिए रसगुल्ले के टुकड़े को ज़मीन में रोपते हैं। क्या सचमुच रसगुल्ले का पेड़ उग आया होगा...? यह तो कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। किलकारी के बच्चों ने प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के गाँव जाकर शोध कार्य किया। रेणु जी से जुड़ी कई नई घटनाएँ, कहानियाँ जानने-सुनने को मिलीं। किशोर लेखक राज आर्यन ने उन्हीं में से एक मज़ेदार घटना को ‘रसगुल्ले का पेड़’ कहानी के रूप में लिखा। बच्चों को यह पुस्तक ज़रूर पसंद आएगी और वे कहानी को चाव से पढ़ते चले जायेंगे।
रसगुल्ले का पेड़
माँ की लोरियाँ

Maa Ki Loriyan – Mother’s Lullabies

The forgotten lullabies were collected from various districts / blocks / villages carefully by Shri Ravindra Bharti and were published in the folk dialects of Bihar in ‘Maa Ki Loriyan’ in 2012.

माँ की लोरियाँ

बिहार में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा में लोरियों का संकलन।
बच्चों को पहला संस्कार माँ की लोरियों से मिलता है। माँ की ममता और खेलगीत से रची-बसी ‘माँ की लोरियाँ’ पुस्तक में मिट्टी की सोंधी-सोंधी गमक आती है। प्रसिद्ध साहित्यकार श्री रवीन्द्र भारती ने कई माह तक बिहार के गाँवों में भ्रमण किया। सैकड़ों माँओं से मिले। ममता की छाँव में गुनगुनायी जाने वाली विभिन्न अंचलों की इन लोरियों को संकलित किया; जो आज विलुप्त हो रही है। इन्हीं लोरियों का संकलन हैं ‘माँ की लोरियाँ’ पुस्तक में।
माँ की लोरियाँ

Main Hoon Kilkari – Glimpses of Kilkari in Pictures

This book narrates the activities of Kilkari in a pictorial way. This book was published in 2012 on the occasion of the completion of 100 years of Bihar.

मैं हूँ किलकारी

तस्वीरों के माध्यम से किलकारी, बिहार बाल-भवन की गतिविधियों की झलक ‘मैं हूँ किलकारी’ किताब में है। यह किताब बिहार के सौवें वर्ष पर सितम्बर, 2012 में प्रकाशित हुई है। बच्चों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में सहभागिता और प्रसन्नता की सचित्र कथा ‘मैं हूँ किलकारी’ कहती है।
मैं हूँ किलकारी
राष्ट्रीय बाल नीति

Rashtriya Bal Neeti – National Child Policy

The *National Child Policy 2013*, issued by the Government of India, has been simplified and adapted into Hindi by the children of Kilkari for publication. The policy emphasizes that no tradition, custom, culture, or religion can be used as a justification to deny or take away children's rights. It calls for holistic attention to children's mental, emotional, intellectual, cultural, and social development.

राष्ट्रीय बाल नीति

भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय बाल नीति 2013 को किलकारी के बच्चों द्वारा सरल करते हुए हिन्दी संस्करण प्रकाशन के लिए तैयार किया गया।
बच्चों को अपने अधिकारों का फायदा उठाने से रोकने और उनके अधिकारों को छीनने का हक किसी भी रीति रिवाज, परम्परा, संस्कृति या धर्म को नहीं दिया जाएगा।
बच्चों के मानसिक/दिमागी विकास, भावनात्मक विकास, ज्ञान संबंधी विकास, सांस्कृतिक विकास तथा सामाजिक विकास पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय बाल नीति

Bade Hone Ka Arth – A Poetry Poster

*Bade Hone Ka Arth* is a thought-provoking poetry poster. It questions whether we truly understand the meaning of growing up, and explores what it really means to be "grown up."

बड़े होने का अर्थ (पोस्टर)

‘बड़े होने का अर्थ’ एक कविता-पोस्टर है।
क्या हम सचमुच बड़े होने के मायने जान गये हैं; इन प्रश्नों को उकेरता है; पोस्टर ‘बड़े होने का अर्थ’।
बड़े होने का अर्थ
क्या है किलकारी?

Kya Hai Kilkari? – A Poster

*Kilkari* is a space where children can open up, blossom, and spread their wings freely amidst nature — each blooming in their own unique color and fragrance.

क्या है किलकारी? (पोस्टर)

प्रकृति के बीच बच्चों के खुलने, खिलने, फेलने और अपने अलग रंग और सुगंध के साथ निखरने की जगह है किलकारी।
क्या है किलकारी?